MNREGA

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

भारत आश्रितों का देश नहीं है। हमने पूरी दृढ़ता के साथ आजादी को अंग्रेजों से छीना है और वही दृढ़ता आज भी हमारे लहू में दिन-रात दौड़ रही है। हमारे किसान, मजदूर, कारीगर, कलाकार और बाकी कामगार वर्ग इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारी श्रम शक्ति रही है, जो रोजाना कड़ी मेहनत और ईमानदारी के साथ बहुत उम्दा ढंग से काम करना चाहती है। इसी मजबूत कार्य नीति की बदौलत नरेगा जैसे कार्यक्रम की शुरूआत हुई, जिसे विश्व बैंक ने ‘‘ग्रामीण विकास का सबसे उम्दा उदाहरण’‘ करार दिया है। लोग कौशल की कमी या कड़ी मेहनत के डर से नहीं, बल्कि कार्य के अवसरों के अभाव के कारण तकलीफ में थे। इसलिए 2005 में, हमने इस बाधा को दूर करने की योजना तैयार की और समाज कल्याण के प्रति कांग्रेस के दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया।

नरेगा, विकेन्द्रीकृत नीतिगत संरचना के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, क्योंकि इसमें पंचायती व्यवस्था को इस नीति को विस्तार से लागू करने की इजाजत दी गई है। यह नीति निर्माण से संबंधित- हमारे सतह से शीर्ष की ओर लक्षित दृष्टिकोण को भी प्रकट करता है - कांग्रेस कार्यकर्ता द्वारा अपने जिले में छोटे पैमाने पर नरेगा जैसी नीति लागू करके उसका निष्कर्ष प्रस्तुत किये जाने के बाद ही नरेगा को देश में लागू किया गया था। नरेगा लोगों को काम करने के अधिकार जैसा मूलभूत अधिकार प्रदान करने के लिए बनाया गया है, ताकि वह खुद का, अपने परिवारों का भरण-पोषण कर सकें और गरीबी के चंगुल से मुक्त हो सकें।

हमने अपने साथी भारतीयों पर पूरा भरोसा किया है और उन्होंने भी कभी हमारे भरोसे को टूटने नहीं दिया। अपनी शुरुआत के बाद से ही नरेगा ने हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में प्रभावशाली बदलाव किया है। हर साल, इस योजना ने औसतन 5 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार प्रदान किया है। एक दिन के काम के लिए प्रत्येक नागरिक द्वारा अर्जित औसत मजदूरी 81 प्रतिशत तक बढ़ी है। इससे वंचित समुदायों को - कुल व्यक्ति कार्यदिवसों में महिलाओं को 47 प्रतिशत और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को 51 प्रतिशत - लाभ पहुंचा है, यह हमारे द्वारा तय किये गये 33 प्रतिशत के बुनियादी मानक से काफी ज्यादा रहा।

यह योजना दो कारणों से कारगर रही - भारतीयों के साहस और दृढ़ संकल्प पर हमारे विश्वास के कारण तथा हमारी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होने के कारण। हमने अपने लोगों पर 35,000 करोड़ रुपयों का निवेश किया और उन्हें ईमानदारी से जीवन जीने के अवसर प्रदान किये। हमें जैसी उम्मीद थी, लोग रिकॉर्ड संख्या में काम करने के लिये निकल पड़े।

हाल ही में आयी ब्रुकिंग्स की रिपोर्ट से पता चला है कि भारत अब सबसे ज्यादा गरीब बाशिंदों वाला देश नहीं रहा और उसकी वैश्विक गरीबी रैंकिंग में सुधार हुआ है। रिपोर्ट में इस उपलब्धि का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता और उनकी आर्थिक नीतियों को दिया गया है, जिसके कारण भारत ने 2004 से 2011 के बीच तेजी से विकास किया। इस रिपोर्ट में गरीबी में आयी भारी कमी का श्रेय भी नरेगा को दिया गया है, जिसने 14 करोड़ से अधिक भारतीयों को गरीबी के चंगुल में जाने से बचाया और गरीबी में 32 प्रतिशत की कमी की।

हमारा देश अकल्पनीय सफलता प्राप्त करने के कगार पर है और अभी काफी सारे काम भी किये जाने बाकी हैं- नरेगा को भी लोगों के साथ विकसित होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी अपनी स्थापना के बाद से ही बदलते समय और लोगों की बदलती जरूरतों के साथ विकसित होती आई है। आज हमारी बढ़ती श्रमजीवी आबादी के लिये रोजगार के अवसर सृजित करना हमारी सबसे बड़ी जरूरत है और नरेगा उस जरूरत को पूरा करने का जरिया है।

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