Goods and Services Tax

वस्तु एवं सेवा कर

वस्तु एवं सेवा कर पहली बार यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान संवैधानिक संशोधन के रूप में पेश किया गया था। इसके पीछे सोच देश के लिये एकल कर व्यवस्था बनाने की थी, जिसमें सीईएनवीएटी, सीवीडी, एसएडी, वैट और राज्य कर सम्मिलित हों; यह उपभोग के अंतिम बिंदु पर एकल कर था। इस विधेयक के जरिये केंद्र और राज्य सरकारों को वस्तु एवं सेवाओं के कराधान के विषय में कानून लागू करने की समवर्ती शक्तियां दी गयीं। जीएसटी को बाजार में व्यापार को आसान बनाने और आम लोगों के लिये गुजर-बसर किफायती बनाने के लिए तैयार किया गया था।
कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रस्तावित जीएसटी की सबसे बड़ी खासियत इसकी सरलता थी - इसमें केवल एक ही कर दर थी और इसकी अधिकतम सीमा 18 प्रतिशत ही रखी गयी थी। समाज के कमजोर वर्गों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु एवं सेवाओं को कर के दायरे से बाहर रखा गया था, ताकि उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो और जीवनयापन किफायती ढंग से हो सके। कर की अधिकतम दर 18 प्रतिशत रखना बेहद जरुरी था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य सरकारें जीएसटी के ऊपर अतिरिक्त करों के लिए गोलबंदी करने की कोशिश न कर पाएं। इसके अलावा, हम पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाएंगे, ताकि आम जनता को ईंधन की बढ़ती कीमतों के बोझ से बचाया जा सके।

विधेयक में जीएसटी विवाद निपटान प्राधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान किया गया, जो सामंजस्यपूर्ण कर संरचना प्रभावित करने वाले या राजस्व के नुकसान की क्षमता वाले केंद्र और राज्य सरकारों के बीच के विवादों का फैसला करने में सक्षम होता। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया कि वस्तुओं की आपूर्ति पर जीएसटी से बढ़कर 1 प्रतिशत भी अतिरिक्त कर नहीं लगेगा। चूंकि, कर उपभोग के स्तर पर लगाया गया है, ऐसे में 1 प्रतिशत कर से कर संरचना में विकृति उत्पन्न होगी। इस बात को कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इंगित किया गया है, जिनकी दलील है कि अतिरिक्त कर के साथ जीएसटी लागू करने का कोई मतलब नहीं है।

पांच कर स्तर या टैक्स स्लैब्स और अधिकतम 28 प्रतिशत कर सीमा वाला मौजूदा जीएसटी बेहद जटिल कर ढांचा है। जितने ज्यादा कर स्तर होंगे, भ्रष्टाचार की आशंका भी उतनी ही अधिक होगी और इससे एमएसएमई के कामकाज पर सीधे-सीधे असर पड़ेगा। हमें ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है, जिससे सरकारी तंत्र आम लोगों के हित में काम करे, व्यवसाय करने में आसानी सुनिश्चित हो और प्रत्येक नागरिक के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आए।

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