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अमेठी के बारे में

1980 के दशक का अमेठी आज के अमेठी से काफी अलग था। 1980 के दशक में इसे देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक माना जाता था। कांग्रेस पार्टी की विकास समर्थक और समावेशी सोच को बरकरार रखते हुए श्री राजीव गांधी ने अमेठी के लोगों की उन्नति पर ध्यान केंद्रित करने और काम करने का फैसला किया। इसलिए उन्होंने अमेठी से चुनाव लड़ने का फैसला किया। वह 1981 से दो बार अमेठी से सांसद चुने गये। उन्होंने 1991 में अपनी मृत्यु तक, लगातार इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 10 वर्षों के दौरान अमेठी में-कृषि, कानून-व्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा, औद्योगीकरण और कनेक्टिविटी समेत सभी मोर्चों पर जबरदस्त विकास हुआ। सबसे महत्वपूर्ण विकास कृषि के क्षेत्र में देखा गया, जहां विशाल बंजर और क्षारीय जमीन हरे-भरे लहलहाते खेतों में बदल गयी और पैदावार भी बहुत अच्छी हुई।



अगले दशक के दौरान, अमेठी से निर्वाचित होने वाले सभी कांग्रेस सांसद श्री राजीव गांधी द्वारा किये गये काम को आगे बढ़ाते रहे और विकास में अपना भरपूर योगदान देते रहे। जब राहुल गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, तो उन्होंने अमेठी की जनता के लिए काम करना जारी रखने का फैसला किया और वे 2004 से लगातार तीन बार से बतौर सांसद इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अमेठी के लिये उनका नजरिया तीन प्रमुख क्षेत्रों - शिक्षा, कृषि और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने पर केंद्रित है।

राहुल गांधी का शिक्षा पर जोर उनकी इस दृढ़ धारणा में निहित है कि बेहतर शिक्षा किसी भी समाज के विकास की बुनियाद है। किसी भी क्षेत्र की प्रगति और उसकी जनता की उन्नति के लिए शिक्षा सबसे आवश्यक है। कांग्रेस अध्यक्ष का पूरा ध्यान प्राथमिक शिक्षा के मजबूत नेटवर्क में निवेश को प्राथमिकता देकर और विश्वस्तरीय संस्थानों की स्थापना करके अपने क्षेत्र में प्रत्येक छात्र को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने पर है। उन्होंने अमेठी में उच्च और विशिष्ट शिक्षा के पांच बेहतरीन संस्थान स्थापित करके शिक्षा के माहौल को पूरी तरह से बदल दिया है।

राहुल गांधी जायस, अमेठी में स्व-सहायता समूह की महिलाओं के साथ बातचीत करते हुए

कनेक्टिविटी एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिस पर राहुल गांधी ने विशेष ध्यान दिया, क्योंकि अमेठी से देश के अन्य हिस्सों तक आना-जाना सुलभ बनाना बहुत महत्वपूर्ण काम था। इससे आवाजाही में आसानी होने के अलावा, व्यापार और रोजगार का फैलाव होता और लोग बेहतर जीवन शैली हासिल करने में सक्षम हो पाते। बतौर सांसद अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान राहुल गांधी ने अमेठी को उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों और देश के विभिन्न हिस्सों से जोड़ने के लिये सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना और अन्य सरकारी योजनाओं के धन का इस्तेमाल किया और सड़कों तथा राजमार्गों का जाल बिछा दिया। बढ़ते औद्योगीकरण के साथ बेहतर कनेक्टिविटी ने अनेक निजी उद्यमों को अमेठी में अपनी उत्पादन इकाईयों की स्थापना को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया।

राहुल गांधी के लिये, किसानों के अधिकार और उनकी आजीविका का संरक्षण और संवर्धन हमेशा से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रहा है। अमेठी में कृषि में क्रांति लाने वाले श्री राजीव गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए राहुल गांधी ने भी किसानों के कल्याण को प्राथमिकता दी। उन्होंने ऐसे मॉडल को बढ़ावा दिया, जिसमें औद्योगीकरण के साथ-साथ कृषि और आजीविका का पारंपरिक तरीका भी मौजूद रह सके। चूंकि अमेठी कृषि-आधारित समाज है, इसलिए उन्होंने बेहतर बुनियादी सुविधाओं और खेती की असरदार तथा आधुनिक तकनीकों के जरिये उनकी आजीविका को सुरक्षित बनाने तथा बढ़ावा देने की कोशिश की।

राहुल गांधी अमेठी के किसानों के साथ बातचीत करते हुए

लोगों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के राहुल गांधी के अथक प्रयासों के कारण उनके कार्यकाल के दौरान अमेठी में स्वास्थ्य क्षेत्र में भी पर्याप्त उन्नति हुई। कांग्रेस अध्यक्ष ने हमेशा कतार में खड़े आखिरी व्यक्ति तक पहुंच बनाने पर विश्वास किया है और उनके प्रयास स्वास्थ्य सेवाओं को ज्यादा सुगम बनाने पर केंद्रित रहे हैं। निःशुल्क नेत्र देखभाल शिविर राहुल गांधी का पसंदीदा प्रोजेक्ट है- और इसने आंखों की देखभाल संबंधी सेवाओं को सुगम बनाने तथा रोजाना 100 मरीजों की जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। स्व सहायता समूहों की बदौलत स्वास्थ्य सेवाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाना संभव हो सका है, जो अमेठी के लगभग प्रत्येक गांव में मौजूद हैं। स्व-सहायता समूहों की अवधारणा, जिसकी शुरूआत राहुल गांधी ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए की थी, अब सुदृढ़ आत्मनिर्भर संस्थाओं के तौर पर बदल चुकी है। इनसे हजारों महिलाएं जुड़ी हैं, जो वित्तीय समावेश, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्रों में काम करती हैं।

अमेठी में कृषि के साथ-साथ, औद्योगीकरण का भी विकास हुआ है। अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए राहुल गांधी के दृष्टिकोण में विकास का मिश्रित मॉडल शामिल है, जिसमें खुशहाल होती खेती-बाड़ी के साथ-साथ, युवाओं को रोजगार के साधन भी उपलब्ध कराए गए हैं। इस दिशा में, अनेक भारी, साथ ही साथ छोटे और मझोले आकार के उद्योगों की स्थापना की गई है, जिनमें भेल, सेल, रेल नीर आदि शामिल हैं, जिन्होंने रोजगार के लिए कई क्षेत्र खोले और जिले में लोगों के उत्थान की दिशा में योगदान दिया।

15 वर्षों में, अमेठी में सामाजिक-आर्थिक और विकास के संकेतकों में व्यापक प्रगति देखने को मिली है। हालांकि, 2014 से, केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के स्पष्ट संकेत मिले हैं। राहुल गांधी द्वारा शुरू की गई अनेक परियोजनाओं को रोक दिया गया है, रद्द कर दिया गया है या अमेठी से बाहर भेज दिया गया है। राजनीतिक फायदे के लिये जानबूझ कर किये गये इन प्रयासों में अमेठी के लोगों के लिये महत्वपूर्ण ऊंचाहार-सालोन-अमेठी को जोड़ने वाली नयी रेलवे लाइन का काम रोक दिया गया, 11 साल से चल रहा आईआईआईटी बंद कर दिया गया है, 2 नये केंद्रीय विद्यालयों के निर्माण कार्य में पांच साल का विलम्ब कर दिया गया, यदि ये बन गया होता तो अब तक छात्रों के पांच बैच पढ़कर निकल चुके होते, जगदीशपुर का मेगा फूड पार्क रद्द कर दिया गया और 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का वादा करने वाली हिंदुस्तान पेपर मिल्स को अमेठी से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया।

अमेठी के साथ राहुल गांधी का रिश्ता सिर्फ नेता-मतदाता का नहीं है, बल्कि ये साझा इतिहास के कई दशकों की मजबूत नींव पर बना आत्मीय सम्बन्ध है, जिसकी जड़ें काफी गहरी हैं। राजीव गांधी से राहुल गांधी तक, गांधी परिवार ने सदैव अमेठी की जनता का प्रतिनिधित्व किया है और कभी अपना निर्वाचन क्षेत्र नहीं बदला।

1980 के दशक के बाद से अमेठी काफी लंबा सफर तय कर चुका है। आज, इसे उत्तर प्रदेश के सबसे शांतिपूर्ण, आत्मनिर्भर इलाकों में से एक माना जाता है और यह तेजी से शैक्षणिक और औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। अमेठी के लोगों ने बार-बार कांग्रेस पर अपना भरोसा और अटूट विश्वास जताया है। कई दशकों से इस जिले का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी के तौर पर हम भविष्य में भी यहां के लोगों की सेवा उसी समर्पित भाव से करते रहेंगे।

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